मूल्याँकन
जीवन की जटिलताओं में अमृत कलश खोजने की कोशिश करता काव्य संग्रह: खोजना होगा अमृत कलश
– ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
कविता कवि के अंतर्मन के अंतद्वंद्व से उपजी शब्दों की वह विथिका है, जो काग़ज़ पर उभरे भावों की वजह से सबको अपनी ओर आकर्षित करने का दम रखती है। जिस वीथिका में जितने ज़्यादा तरह के फुल होते हैं, वह वीथिका उतनी सुंदर दिखाई देती है। राजकुमार जैन राजन के प्रस्तुत कविता संग्रह कविताओं रूपी फूलों से संग्रहित वही वीथिका है, जिस सूक्ष्म संवेदनाओं रूपी भावों में भीगे, सार्थक उद्देश्य की सुगंध से सरोबार और शब्दों रूपी पंखुड़ियों से सजी कविताओं के पुष्पगुच्छों ने इसे खूबसूरती प्रदान की है।
इस संग्रह की कविताओं में अंतर्मन की व्यथा सम्पूर्ण भावों और संदेश के साथ व्यक्त हुई है। इस की बानगी देखिए-
उसे देखा था मैंने दादर के पूल के नीचे
एक कोने में, निराशा के घनघोर बादलों में
टुकड़े-टुकड़े हुई ज़िन्दगी के लिए
रोशनी के टुकड़े ढूँढते हुए
‘हाशिए पर ज़िन्दगी’ कविता की ये पंक्तियाँ कवि के अंतर्भावों को व्यक्त करती हैं। वह निराशा के गर्त में डूबी ज़िन्दगी के लिए अपनी कविता में जिस अंतर्द्वंद्व, रचनात्मक दायित्वबोध और परिस्थितियों का शब्द-चित्रण करता है, वह पठनीय है। सम्पूर्ण कविता कवि के भावों को काग़ज़ पर उकेर कर रख देती है। पाठक जब कविता को पढ़ता है तब लगता है कि वह अपने मन के भावों को कविता में स्वयं पढ़ते हुए एक सुखद और मनोकुल अनुभूति कर रहा हैं।
राजकुमार जैन राजन कोमल मन के, जिज्ञासाओं से भरपूर, बालसुलभ चंचलता, चपलता और जोश से भरे-पूरे व्यक्तित्व के सहृदय कवि हैं। इनकी बेबाकी, सरलता, सहजता, सौम्यता इनके व्यवहार के साथ-साथ इनकी रचनाओं में देखी जा सकती है। इसी की वजह से ये बड़ी से बड़ी और गंभीर से गंभीर बात बड़ी सहजता से कह जाते हैं। ‘ज़िन्दगी का गीत’ कविता की यह पंक्तियाँ देखे–
माँ-बहनों से नाता तोड़
भ्रम के ताने-बाने में उलझकर
अनाथों की तरह भटकते युवा-वृद्ध
फेंक रहे हैं हिंसा व नफरत के ढेले
‘वही तुम कौन हो?’ कविता में कवि अपनी पहचान के रूप में मानवता की पहचान खोजता हुआ नजर आता है। मानव कौन है? कहाँ था और कहाँ पहुँच गया? उसकी पंरपरा, संस्कृति और इतिहास क्या था और क्या हो गया? इस कविता में इसी गहरी संवेदनात्मक चिंता और सांस्कृतिक विद्रुपताओं का रेखांकित किया गया है। यह पाठकों को अपने मन में झाँकने और जाँचने को प्रेरित करती है।
‘खण्ड-खण्ड अस्तित्व’ कविता में-
ज़ख्म जो उभरे सीने पर
ख़्वाब में हिलमिलाते हैं
जब दिल का दर्द आँसू बनकर
आँखों से छलकता है
वेदनाएँ थकी साँस-सी चलने लगती है
कवि रिश्तों और संबंधों के बदलते मायनों पर अपनी चिन्ता को कविता में पूरी शिद्दत के साथ महसूस करता है। वह जानता है कि बदलते समय और उस पर हावी होती मशीनरी संस्कृति ने मानवीय रिश्तों, उनके बीच की संवेदनों, आपसी तालमेल और कहानी द्वारा दी जाने वाली वाचिक और सांस्कृतिक परम्परा को नष्ट-भ्रष्ट कर दिया हैं। इसी की वजह से मानवीय मूल्यों का ह्रास हो रहा है।
‘खोजना होगा अमृत कलश’ कवि का यह संग्रह अपने शीर्षक के अनुरूप रिश्तों और संबंधों की टूटन, व्यवस्था और पंरपरा से पनपी विद्रुपताओं को, अपने मन की व्यथा में खो चुकी मानवता को अपनी कविता के माध्यम से खोजने का प्रयत्न करता है। संग्रह की कविताएं मनुष्य जीवन की जटिल यात्रा से उपजी उदासियों, कुंठाओं, पलायनवादिता, भोग्यवादी संस्कृति, एकल परिवार, बेरोजगारी, मशीनी युग के प्रभाव, आधुनिक व्यवस्था की जटिलताओं से मिली असफलता और तनाव के बीच सरलता, सहजता, उमंग, उत्साह के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती है।
संग्रहित कविता संग्रह की भाषा सहज, सरल और भावना प्रधान है। कविता को पढ़ते हुए ये सरलता और सहजता से हृदय की गहराई में उतरती जाती है। भाषाशैली में भावों के अनुसार गंभीरता और सहजता के साथ-साथ सरलता का समावेश मिलता है। मगर पढ़ने पर वह सहज और ग्राहिय रूप से सभी को प्रभावित करती हैं।
छंदमुक्त कविता शैली में लिखी गई कविताएँ अपने उद्देश्य को सार्थक कर के पाठकों के मन को उद्देलित करते हुए अपना अचूक प्रभाव छोड़ जाती हैं। कविता पढ़ने के बाद पाठक बहुत देर अपलक उसके भावों को समझाने और अंतर्मन में आत्मसात करता हुआ महसूस करता है। पाठक को लगता है कि ऐसा कुछ है जो छूट रहा है, वह जीवन में पकड़ना बहुत जरुरी है। अन्यथा आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ़ नहीं करेगी।
संग्रह की प्रत्येक कविता सौद्देश्य लिखी गई है. इनको पढ़ने के बाद कह सकते हैं कि राजकुमार जैन राजन रचनात्मक दायित्वबोध के कवि हैं। इनकी कविता में सामाजिक जटिलताओं और समस्याओं के दर्शन होते हैं। मैं समझता हूँ कि इनका प्रस्तुत कविता संग्रह लेखकों और पाठकों के बीच अपनी गहरी पकड़ बना कर अपने सफलता के परचम लहरायाएगा, क्योंकि जीवन की जटिलताओं में से यह काव्य अमृत कलश खोजने की बहुत बड़ी कोशिश करता हैं। कवि वाकई बधाई का पात्र है।
समीक्ष्य पुस्तक- खोजना होगा अमृत कलश
विधा- कविता
कवि- राजकुमार जैन राजन
प्रकाशक- अयन प्रकाशन, 1/20, महरौली, नई दिल्ली-110030
पृष्ठ-120
मूल्य- 240 रूपये
– ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश