बाल-कविता
जंगल में फुटबॉल
शेर ने इक दिन सोचा,
जंगल में फुटबाॅल खिलाये।
बंदर को आदेश दिया कि,
बाॅल एक ले आए।
जब बन्दर बाज़ार गया तो,
पीने लगा वो जूस।
बाॅल कहीं पर मिली नहीं तो,
ले आया तरबूज़।
अगले दिन फिर खेल हुआ,
हाथी ने मारी लात।
बिखर गया तरबूज़ बेचारा
बंट गई कितनी फांक।
देख लाल तरबूज़ चटोरी
बिल्ली के मुंह पानी आया।
उठा के टुकड़ा भागी ऐसे,
दिखा कहीं ना साया।।
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चल चल वापिस अपने गांव
बिल्लू साईकिल लेकर निकला,
पीछे बिल्ली बैठाई।
पहुंच गए हाइवे पे दोनों,
साईकिल खूब दौड़ाई।
सिर में सुन्दर फूल सजाकर,
बैठी प्यारी बिल्ली।
बातें करते करते दोनों,
पहुंच गए वो दिल्ली।
दिल्ली जाकर थक गए दोनों,
मिली कहीं ना छाया-पानी।
दोनों ने देखा जब ये सब,
उनको हुई बड़ी हैरानी।
इससे तो अपना गांव भला,
जहां पीपल की ठंडी छांव।
गलती से हम आए यहां,
चल चल वापिस अपने गांव।।
– असमा सुबहानी