ख़बरनामा
चित्राम्बरा 2019
कोलकाता। सांस्कृतिक और सामाजिक संस्था ‘वाराही’ की ओर से कला मंदिर ऑडिटोरियम, कोलकाता के कला कुंज में नृत्य, नाट्य और कविता का एक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया। समारोह में डॉ. अभिज्ञात के कविता संग्रह ‘कुछ दुःख कुछ चुप्पियाँ’ का लोकार्पण साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि ‘दुःख और निराशा-हताशा। ये दोनों चीज़ें अलग-अलग हैं। इस संग्रह की कविताओं के केन्द्र में दुःख हैं और चुप्पियां भी हैं। दुःख से उपजी हताशा या निराशा इनमें नहीं है। दुःख और करुणा तो सारी कविताओं के केन्द्र में रहा है। वाल्मीकि का पहला श्लोक है- मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः। पहली कविता है.. वह दुःख की है। निराला की कविता में भी दुःख रहा है। निराला महाकवि हैं छायावाद के। हमारे समय में तो उनसे बड़ा कवि कोई नहीं हुआ। ‘दुख ही जीवन की कथा रही, क्या कहूँ आज, जो नहीं कही।’ सरोज स्मृति, उनकी महान कविता है, दुख उसके केन्द्र में है तो दुःख और हताशा में फर्क है। ये कविताएँ हताशा- निराशा के गर्त से बाहर निकालती हैं। दुःख को अभिज्ञात ताक़त बना लेते हैं। दुःख की ताक़त अभिज्ञात की कई कविताओं में मिली। दूसरे ये कि अर्थ से अलग कर दिये गये शब्द हैं। यह हमारे समय की बौद्धिक सच्चाई है। चाहे वह कोई भी सत्ताधारी हो, हमें लगता है कि जिन शब्दों का वह इस्तेमाल करता है उसका वह अर्थ नहीं है, जो होना चाहिए। उसके आशय कुछ और होते हैं। जब वे कह रहे होते हैं कि मुसलमानों को डरने की ज़रूरत नहीं है, तो दरअसल वे उन्हें डरा रहे होते हैं। तो शब्दों के अर्थ बदल दिये गये हैं। और सब मिलाकर यह जो कविता विरोधी समय है, उसकी अभिज्ञात चीरफाड़ करते हैं अपनी कविता में। वे कहते हैं कि ‘दुःख इस सृष्टि का सबसे पुराना बीज है’ या वे एक कविता में कहते हैं कि -‘हर घर से दुत्कारे जाने वाले हे दुःख! यह एक कवि का घर है, स्वागतम् स्वागतम्’ तो यह कवि दुःख का स्वागत करता है। इस तरह की इसमें बहुत-सी कविताएँ हैं। और मुझे लगता है कि जब शब्द अर्थ खो देते हैं, चुप्पियाँ शब्दों से अधिक शक्तिशाली होती हैं, इसी आशय की कविताएँ इस संग्रह में हैं। अभिज्ञात कहते हैं कि ‘जब शब्द अर्थ खो देते हैं तब बोलती हैं चुप्पियाँ’। इस संग्रह में पीठ को पढ़ने की कविताएँ भी हैं। मनुष्य की संवेदनाएँ पीठ पर देखी जा सकती हैं; चेहरे पर देखने की बजाय। इनकी पीठ पर लिखीं कविताओं को पढ़कर मुझे एक फ़िल्म का दृश्य आता है- ऋतिक घटक की फिल्म ‘मेघे ढाका तारा’। इस फ़िल्म में एक व्यक्ति की पीठ से ही खुशी और आनंद को व्यक्त कर दिया जाता है। इनकी कविता में एक हाशिया है, जिसका बार-बार ज़िक्र आया है। तो तमाम सूचियों में निरस्त कर दिये गये दृश्य व क्रिया-कलाप को प्रश्रय देती है ये कविताएँ। दुःख से उम्मीद पैदा होने की एक छोटी-सी कविता है, जो खुद से सवाल है- ‘क्या मैं दुनिया बदलने तक रहूँगा, नहीं मैं दुनिया बदलने के लिए रहूँगा।’ आप चाहें तो इन्हें अभिज्ञात का वक्तव्य मान सकते हैं और चाहें तो इस कविता को दुःख का वक्तव्य भी मान सकते हैं।’
इस कार्यक्रम का नाम दिया गया था- ‘चित्राम्बरा 2019’। समारोह में फिल्म जगत के मशहूर निर्माता-निर्देशक, लेखक और नाटककार सागर सरहदी का लिखा बहुचर्चित नाटक ‘किसी सीमा की एक मामूली-सी घटना’ को पश्चिम बंगाल के सुप्रसिद्ध अभिनेता और निर्देशक प्रताप जायसवाल के निर्देशन में मंचित किया गया। इस समारोह के दूसरे सत्र में ‘नृत्य विशारद’ पदवी से विभूषित एवं विश्व के विभिन्न देशों में अपने नृत्य का प्रदर्शन कर चुकी ‘नृत्यांगना डांस एकेडमी’ की संस्थापक प्रियंका साहा व उनकी टीम के कलाकारों द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति की गयी। तृतीय चरण में कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें मंगलेश डबराल, सुभाष, डॉ. आशुतोष, डॉ. अभिज्ञात, यतीश कुमार, जितेंद्र धीर, राज्यवर्धन और निशांत ने काव्य-पाठ किया। वाराही की सचिव नीता अनामिका ने कार्यक्रम का संयोजन किया था। समारोह में प्रताप जायसवाल को रंगमंच में उनके योगदान के लिए ‘चित्राम्बरा सम्मान’ से सम्मानित किया गया।
विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 से सम्मानित हुए ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित; विनायक विद्यापीठ परिसर में ‘हम सब साथ साथ’ के बैनर तले सातवाँ अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 का आयोजन 24 और 25 दिसंबर को आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह के लिए प्रसिद्ध बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को बालसाहित्य में विशेष योगदान के चयनित कर आमंत्रित किया गया था।
समाज में भाईचारे और विश्व बंधुत्व की भावना के विकास में सोशल मीडिया की भूमिका विषय पर आयोजित परिचर्चा में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने और बालसाहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए ओमप्रकाश क्षत्रिय को ‘विशिष्ट प्रतिभा सम्मान- 2019’ से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान ‘हम सब साथ साथ’ के राष्ट्रीय संयोजक तथा देश और दुनिया की जानी-मानी शख्सियत श्री किशोर श्रीवास्तव, वीर रस के लब्धप्रतिष्ठित कवि योगेंद्र शर्मा, समाजसेवी विनोद बब्बर और नामचीन साहित्यकार डॉ. प्रीति समकित सुराना के करकमलों से प्राप्त हुआ।
इस कार्यक्रम में देश-विदेश के जाने माने प्रतिभावान कलाकारों ने हिस्सा लिया। नेपाल से अंजलि पटेल, शिकागो (अमेरिका) से रेडियो प्रतिनिधि विशाल पांडेय, फिजी से स्वेता चौधरी सहित पूरे देश से पधारे हुए कला, साहित्य एवं समाज सेवा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले अनेक प्रतिभा संपन्न साथियों ने इस समारोह में भाग लिया।
– टीम हस्ताक्षर