बाल-वाटिका
चलो चलें अब दीप जलाएँ
चलो चलें अब दीप जलाएँ
ख़ुशियों का त्योहार मनाएँ
जब-जब आती है दीवाली
सजती है ख़ुशियों की थाली
माँ फैलाती अपने हाथों
कोने-कोने में उजियाली
आओ हम भी हाथ बँटाएँ
ख़ुशियों का त्योहार मनाएँ
अब न करेंगे धूम-धड़ाके
आतिशबाज़ी ख़ूब उड़ा-के
घर-घर में यह पर्व मनाएँ
खील-बताशे, गुजिया खाके
जगमग-जगमग दीप जलाएँ
ख़ुशियों का त्योहार मनाएँ
जो करता है दूर अँधेरा
वह लाता है सुखद सवेरा
दीप हमेशा यही सिखाता
तोड़ो हरदम तम का डेरा
आओ मिलकर गीत सुनाएँ
ख़ुशियों का त्योहार मनाएँ
– सुरभि बेहेरा
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