ग़ज़ल-गाँव
ग़ज़ल-
आप मुझमें आ बसें तो
और ख़ुद में भी रहें तो
दुश्मनी जिनसे ठनी है
वो मुझे अपना कहें तो
दोस्तों की लिस्ट में हम
दुश्मनों को भी रखें तो
रास्ता हो जाएँगे ख़ुद
आपमें हों मंज़िलें तो
भूल जाने के बहाने
याद मुझको वो रखें तो
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ग़ज़ल-
मुझसे मिलकर फ़रज़ाने
लौटे हो कर दीवाने
शायद मुझको समझे हों
आये थे जो समझाने
एक ज़रा-सी ग़लती पर
दुनिया भर के ज़ुर्माने
चेहरा तुलसी-चन्दन-सा
आँखों में हैं मैख़ाने
रख अपने पैमानों को
मेरे अपने पैमाने
– विज्ञान व्रत
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