ग़ज़ल-गाँव
ग़ज़ल-
मुझे अब याद कोई क्यूँ करेगा
मेरा दिल शाद कोई क्यूँ करेगा
मुहब्बत ने किया बरबाद जिसको
उसे आबाद कोई क्यूँ करेगा
रखा है दिल को अब तक मोम मैंने
भला फौलाद कोई क्यूँ करेगा
अगर वो जान माँगे तो भी दे दूँ
उसे नाशाद कोई क्यूँ करेगा
इसी विश्वास में मारा गया मैं
मुझे बरबाद कोई क्यूँ करेगा
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ग़ज़ल-
किसी को क्या बताएँ अब भला हम
ये ग़म कितना दिखाएँ अब भला हम
तुम्हें हम इश्क़ की भी आरसी दें!
कहो तो मर ही जाएँ अब भला हम
तुम्हारे चैट, फोटो और नम्बर
अरे! क्या-क्या छुपानाएँ अब भला हम
सभी ने आज़माया है हमें बस
किसे अपना बनाएँ अब भला हम
यहाँ तो लोग अनजाने सभी हैं
किसे दिल से लगाएँ अब भला हम
मज़ा तनहाई का अपना अलग है
उसे क्यूँ ही बुलाएँ अब भला हम
– संदीप राज आनंद