ग़ज़ल की बात
ग़ज़ल की बात (किश्त-5)
साथियो!
मेरी समझ के अनुसार मैंने मूल, मिश्र और रूपांतरित लहरों के बारे में अपने सरल स्वभाव के अनुरूप सहज चर्चा की है। आप समझ चुके होंगे कि बहरें केवल लाम–गाफ़ अथवा लघु–गुरु का लययुक्त संयोजन मात्र है। एक समग्र दोहराव के तौर पर मूल, मिश्र और रूपांतरित लहरों में प्रयुक्त हिलोरअर्कान (लयपदों) की सारणी बना लेते हैं।
हमने लघु स्वर (लाम) को कोड दिया है– 1 यानि छोटी बूंद
दीर्घ स्वर यानी गाफ़ को कोड दिया है– 2 यानि बड़ी बूंद
इन्हीं 1 और 2 के संयोजन से जुज (छींटें) और रुक्न (हिलोर) बनते हैं। हिलोरों (अर्कान) के दोहराव से लहर (बह्र) का निर्माण होता है। जैसे-जैसे 1 और 2 में मात्रा बढ़ती जाएगी ये 3, 4, 5, 6, 7 मात्रिक होते जायेंगे। ध्यान रहे-
मूल सात रुक्न (हिलोर) 5 और 7 मात्रिक ही हैं।
तराना झूमकर मुहब्बत का गुनगुनाओ हँसते रहो उदास कभी न रहो सनम
122 212 1222 2122 2212 12112 11212
122 और 212 पाँच मात्रिक (खुमासी) हैं, शेष सात मात्रिक (सबाई) हैं। इन्हीं मूल पाँच मात्रिक और सात मात्रिक में पूर्व वर्णित विधियों से मात्राएं घटाकर रूपांतरित रुक्न बनें हैं।
पाँच मात्रिक 122 और 212 से मात्राएँ घटाकर चार मात्रिक हिलोरें बनी हैं जैसे–
22, 121, 112 आदि।
सात मात्रिक 122 2, 21 22, 22 12, 1 12 12, 12 1 12 से मात्राएँ घटाकर 6 मात्रिक हिलोरें बनी हैं, जैसे– 1 122, 12 12, 21 21, 12 21 आदि।
हम ‘ग़ज़ल की बात–3’ में इस बारे में विस्तार से जान चुके हैं। मूल हिलोरों के दोहराव से मूल लहरें (बह्र) बनती हैं। मूल हिलोरों के मिश्र दोहराव से मिश्र लहरें बनती हैं।
मूल हिलोरों (रुक्न) से बनी मूल और मिश्र लहरों में मूल हिलोर के रूपांतरित रूप रखने पर वह बह्र या लहर रूपांतरित कहलाती है।
साथियो! इस प्रकार के मूल एवं रूपांतरित अर्कान (लहरों) की एक सारणी दे रहा हूँ। इस सारणी में मात्रा– योग के बढ़ते क्रम/ आरोही (ascending order) में यानि 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7 मात्रिक के अनुसार हिंदी लय पद, फ़ारसी अर्कान तथा कोड एवं धुन दिए हैं।
इस सारणी में 21 जहाँ हैं, उसका मतलब वह गीतात्मक हिलोर /रुक्न है। आपने देखा होगा सारे रुक्न या हिलोर 21 या 12 से ही बने हैं। भोर= 21, निशा= 12 दोनों 3 मात्रिक हैं। लेकिन मात्रा क्रम अलग है। इसे आगे समझेंगे।
21= गीत– ये वे रुक्न/ हिलोर या लहरें हैं, जिनके तीन मात्रिक जुज (भाग) की शुरुआत गाफ़ गुरु से होती है। इन्हें वतद मफ़रूक (वियोज्य त्रिकल) कहते हैं और इससे बनी बहरें मफ्रूकी कहलाती हैं। हम इन्हें गीतात्मक लहरें कहेंगे।
सारणी में बह्र क्रमांक 14 से 22 तक इसी श्रेणी की है। उदाहरण-
गीत गाओ, भोर उजली, रात काली, मन की बात, इक शह्र था, कुछ बात कर
12= ग़ज़ल– ये वे रुक्न/ हिलोर या लहरें हैं, जिनके तीन मात्रिक जुज (भाग) की शुरुआत लाम लघु से होती है। इन्हें वतद मजमूअ (संयोज्य त्रिकल) कहते हैं और इससे बनी बहरें मजमुई कहलाती हैं। हम इन्हें ग़ज़लात्मक लहरें कहेंगे।
सारणी में 14 से 22 के अलावा सभी बहरें इसी श्रेणी की है। उदाहरण–
गाओ ग़ज़ल, इक नगर था, दुआ तेरी, न हवा चली, ग़ज़ल गा
2= दो मात्रिक= सबब, 3= तीन मात्रिक= वतद, 4= चार मात्रिक= फ़ासला
खुमासी= 5 मात्रा, सबाई= सात मात्रा
वतद यानि त्रिकल= 3 मात्रिक में, एक गाफ़= 2 जोड़ने पर 5 मात्रिक और दो गाफ़ 22 जोड़ने पर 7 मात्रिक हिलोर बनती हैं।
एक वतदी(एक त्रिकल) की हिलोरें–
क़) खुमासी (5 मात्रिक)– 122, 212, 212, 221
ख़) सबाई (सात मात्रिक)– 1222, 2122, 2212, 2221, 2122, 2212
दो वतदी (दो त्रिकल) की हिलोरें— 12 1 12, 1 12 12
सारणी में जहाँ N दिया है, उसका मतलब प्रति मिसरा हिलोर की संख्या है।
N = 1 = फ़र्द N = 6 = मुसद्दस
N = 2 = मुसन्ना N = 7 = मुसब्बा
N = 3 = मुसल्लस N = 8 = मुसम्मन
N = 4 = मुरब्बा N = 9 = मुतस्सा
N = 5 = मुखम्मस N = 10 = मुअशर
इन्हें आप 1 कली , 2 कली , 3 कली , 4 कली , 5 कली आदि भी कह सकते हैं।
अब हम लहरों यानि बह्र की भी एक सारणी बना लेते हैं | इस सारणी में बह्र,उसका फ़ारसी नाम, हिंदी अर्थ / नाम ( ऐच्छिक ) और कोड दिए हैं | फ़ारसी नामों का एक परिचय ज़रूरी है | इसे याद रखना ज़रूरी नहीं,आप अपने मुताबिक नामकरण कर सकते हैं |
1. तराना – 122 —बहरे – मुतक़ारिब –– ‘मुत’ एक फ़ारसी उपसर्ग है, जो ‘वाला’ के अर्थ में प्रयुक्त होता है | क़रीब यानि समीप यानि मुतकारिब का अर्थ हुआ समीप वाला यानि क़रीबी | अतः इस बह्र को क़रीबी = 122 भी कह सकते हैं |
2. झूमकर – 212 —बहरे – मुतदारिक — दरकार यानि गुम वस्तु / चीज़ पाने वाला | अतः इस बह्र को फ़िर मिली / पा लिया / शुभ मिलन = 212 भी कह सकता हैं |
3. मुहब्बत का – 122 2 — बहरे – हज़ज — यहाँ हज़ज का अर्थ है सुरीली आवाज़ , अतः इस बह्र को सुरीला सुर = 122 2 भी कह सकते हैं |
4. गुनगुनाओ – 212 2 — बहरे – रमल — यहाँ रमल का अर्थ है भविष्य बताने की विद्या | अतः इसे कल बताना = 212 2 भी कह सकते हैं |
5. हँसते रहो – 221 2 — बहरे – रजज़ — यहाँ रजज़ का अर्थ है शूरता / वीरता का वर्ण अतः इसे बिरदावली = 221 2 भी कह सकते हैं |
6. उदास कभी – 12 1 12 — बहरे – वाफ़िर — यहाँ वाफ़िर का अर्थ है भरपूर / बहुत ज्यादा अतः इसे दिया है बहुत = 12 1 12 भी कह सकते हैं |
7. न रहो सनम – 1 12 12 — बहरे- कामिल — यहाँ कामिल यानि संपूर्ण / मुकम्मल है अतः इसे है वही निपुण = 1 12 12 भी कह सकते हैं |
ये सभी नाम केवल फ़ारसी नामों से सुपरिचित होने के लिए सुझाए गए हैं | आप कोई भी नाम दे सकते हैं | नामकरण याद रखने की सीढ़ी भर है | सुझाए गए नामों की ख़ासियत यह है कि इनकी तक़्तीअ ( लघु – गुरु में टुकड़े करना ) करने पर उस बह्र का कोड मिल जाता है | जैसे सुहाना सुर = सु हा ना सुर = 1 2 2 2 | वैसे यह मिसरा भी याद रखने के लिए अच्छा है |
तराना झूमकर मुहब्बत का गुनगुनाओ हँसते रहो उदास कभी न रहो सनम
122 212 1222 2122 2212 12112 11212
आगे सभी महत्वपूर्ण लहरों की सारणी दे रहा हूँ | यह सारणी आप सभी को पसंद आई तो मेरी मेहनत सफल समझूंगा | सात मूल के नामकरण के अलावा शेष मिश्र लहरों के फारसी नामों का अनुवाद / हिंदी अर्थ दिया गया है | साथ में चार कली ( मुरब्बा ) दोहराव के उदाहरण भी दिए हैं | आशा है मेरा परिश्रम सभी के कुछ काम आएगा |
इन्हीं मूल और मिश्र बहरों के लयपद यानि रुक्न में ‘ग़ज़ल की बात—3’ में बताई विधियों (deleat/curtail/deleat&curtail) से मात्राएँ घटाकर रूपांतरित लहरें बनती हैं | नीचे दी गई है |
रूपांतरित लहरों की सारणी — ये अनेकों हो सकती है , अब तक मेरे स्वाध्याय में आई महत्वपूर्ण बहरें सारणी में दे रहा हूँ | इनके अलावा भी कई हैं | इसमें मूल लहरों के अंतिम रुक्न के मात्रा घटाकर बनी रूपांतरित लहरें नहीं ली हैं क्योंकि उन्हें हम N = 3.5 , 2.5 , 1.5 आदि दोहराव मानकर मूल बह्र मान चुके हैं (किश्त – 2) | उदाहरण —
12212212212 , 2122122122 , 122212221222122 आदि
*2122 1222 को अंतिम रुक्न में घटाकर जहाँ 22 किया गया है वहाँ 22 की जगह 112 या 212 भी रख सकते हैं क्यूंकि 22/112/212 तीनों ही 2122/1222 के परिवर्तित रूप हैं |
*221 तथा 2221 हमेशा पहले रुक्न में ही आते हैं | (रूपांतरित में )
*रूपांतरित लहरों को मूल लहर / बह्र के नाम से ही जाना जाता है केवल साथ में रूपांतरित शब्द जोड़ देते हैं | उदाहरण
2122 1122 22 की मूल बह्र है 2122 2122 2122 यानि गुनगुनाओ (कल बताना ) की तीन कली , अतः इसे ‘गुनगुनाओ तीन कली रूपांतरित’ कहेंगे | फ़ारसी के हिसाब से यह बहरे रमल मुसद्दस मुज़ाहिफ है | एक मिसरे में तीन रुक्न यानि फ़र्द शेर में 6 अर्कान हुए अतः मुसद्दस है तथा मुज़ाहिफ यानि परिवर्तित |
आप रूपांतरित बह्र की जननी बह्र से तुलना करके देखें कहाँ मात्रा घटाई गई है | बहरों पर इतना ही , आगे हम तुक संयोजन ( काफ़िया बंदी ) , रदीफ़ , शेरीयत आदि पर चर्चा करेंगे |
सादर नमस्कार |
– ख़ुर्शीद खैराड़ी