बाल-वाटिका
खेल-खिलौने
मम्मी ये सब खेल-खिलौने
अब लगते हैं बिल्कुल बौने
मिट्टी की ये गुड़िया सारी
ठोकर लगते गई बेचारी
काँच की गाड़ी काँच के घोड़े
ये टिकते हैं कुछ भी थोड़े
मेंढक, झूला, मैना, तोता
कहाँ खिलौना अपना होता
माँ ये सारी चीज़ हटा दो
मुझको इक कंप्यूटर ला दो
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बिल्ली-चुहिया
बिल्ली बोली- म्याऊं म्याऊं
मैं चूहिया के घर पर जाऊं
चूहिया बोली- आओ बिल्ली
बना है जो कुछ खाओ बिल्ली
बिल्ली बोली- प्यारी बहना
कुछ हमको है तुमसे कहना
ज़रा-सा अपना कान तो लाओ
मुझसे बिल्कुल मत घबराओ
चूहिया बोली- सबको पता है
राज़ ये तेरा जबसे खुला है
दोस्त तुम बनकर आ जाती हो
फिर झटके से खा जाती हो
– डॉ. जियाउर रहमान