छन्द-संसार
कोरोना पर दोहे
गंगा भी अब स्वच्छ है, जमुना भी है साफ।
कोरोना ने दे दिया, नदियों को इंसाफ।।
पैसा, पॉवर, रौब, पद, बंगले मोटर कार।
कोरोना ने कर दिये, सब के सब बेकार।।
धरती लाशों से पटी, कांप गया आकाश।
कोरोना ने कर दिया, ऐसा सत्यानाश।।
दूरी तन की हो भले, मन से सब हों साथ।
कोरोना सिखला गया, ग्रंथों वाली बात।।
मन से मन का हो मिलन, तन से कैसा प्यार।
कोरोना ने दे दिया, प्रेमयोग का सार।।
बिजनस सारे रुक गये, अर्थव्यवस्था मंद।
पूरा भारत हो गया, इक्कीस दिन तक बंद।।
एक ज़रा-से जीव ने, दुनिया को दी मात।
क़ुदरत ने दिखलाई है, मानव को औक़ात।।
कोरोना के खौफ़ से, छूट गया हर काम।
भूखे पेटों से भला, कैसे हो आराम।।
बैठे-बैठे मिल रहा, हरिया को आहार।
कोरोना ने कर दिया, आख़िर बेड़ा पार।।
– आकाश नौरंगी