देशावर
कुछ बचा है हमारे बीच
सब कुछ ख़त्म नहीं हो गया है
कुछ न कुछ बचा है हमारे बीच
बचे हैं साझे की कुछ स्मृतियाँ
जो हमें मिला है, अपने जीवन की निधि से ब्याज सरीखा
बची है ज़रा-सी आशा
जो हमें चुक जाने पर भी, रिक्त नहीं होने देगी उम्रभर
बची है ज़रा-सी प्रार्थना
जो हमारे न होने पर भी होगी तारों की तरह
नहीं, सब कुछ ख़त्म नहीं हो गया है
अभी कुछ न कुछ बचा है हमारे बीच।
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यह जीवन
ये अनजानी राहें
कुछ ढूँढता हुआ मन
कुछ पाने की ललक
कभी कुछ खो देने का डर
अनवरत
मंज़िल की तलाश पर
पर अक्सर अनियंत्रित-सा
यह जीवन।
– कमलेश यादव