काव्य संग्रह ‘यादों के प्रतिबिम्ब’ का विमोचन
5 अप्रैल, बीकानेर। “सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’ के प्रथम काव्य संग्रह ‘यादों के प्रतिबिम्ब’ में ऐसी मौलिकता है, जो इनकी कविताओं को तरोताजा कर देती है। इनका काव्य मिलन, जुदाई व तन्हाई का एक ऐसा दस्तावेज है, जो नफरत की दुनिया में प्यार का संदेश देता है।’’ ये विचार वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. मदन केवलिया ने रविवार को होटल मरूधर हैरिटेज के विनायक सभागार मेें व्यक्त किये।
पर्यटन लेखक संघ व महफिले अदब के द्वारा आयोजित सुनील कुमार लोहमरोड़ ‘सोनू’ के काव्य संग्रह ‘यादों के प्रतिबिम्ब’ के विमोचन में अपने वक्तव्य में डाॅ. मदन केवलिया ने कहा कि यह पुस्तक प्यार का मुकम्मल जहाँ भी है, इसमें मौसमे-बहार है, मौसमे-खिजाँ भी है। उन्होंने कहा कि सोनू की कविताओं में इश्क़ का बेबाक इजहार, इकरार और इंतजार की स्पष्ट अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर विराजमान वरिष्ठ कथाकार कमल रंगा ने कहा कि सोनू की कवितायें निजता से सार्वजनिकता की तरफ जाने का सुन्दर प्रयास है। उनके काव्य में स्वाभिकता है, वास्तविकता है। इनके यहाँ शब्दों से रागात्मक रिश्ता देखने को मिलता है। सोनू की कवितायें सीधे दिल में उतरने की क्षमता रखती हैं।
सुनील कुमार सोनू ने अपने काव्य संग्रह में से प्रतिनिधि रचनायें सुनाकर श्रोताओं से वाहवाही लूटी। सोनू ने ‘दिल से’, ‘तुझे भी है’, ‘वो पगली लड़की’, ‘उसकी कमी’, ‘तब कोई बात बने’, ‘कोई याद आयेगा’ आदि कवितायें सुनाकर सभी की सराहना प्राप्त की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डाॅ. जि़या उल हसन क़ादरी ने कहा कि सोनू की कविताएँ साफ सुथरी और आम बोलचाल की भाषा में है। सहजता, सरलता व प्रवाहमयी शैली इन कविताओं की विशेषता है। ये कविताएं बनावट व शाब्दिक जोड़-तोड़ से कोसों दूर हैं। विमोचित कृति पर पत्र-वाचन करते हुए कवियत्री मनीषा आर्य सोनी ने कहा कि ये कविताएँ मासूम प्रेम की अभिव्यक्ति हैं। इनमें मौजूद भावुकता पाठक को प्रभावित करती है।
पाठकीय टीप रखते हुए मधु शर्मा ने कहा कि सोनू की कविताएँ युवा मानसिकता की अभिव्यक्ति हैं, ये कविताएँ श्रृंगार रस से ओत-प्रोत हैं, जिनमें संयोग व वियोग का समावेश है। युवा कवि पूनमचन्द ने कहा कि ‘यादों के प्रतिबिम्ब’ मुहब्बत से जुदाई तक की कहानी है। ये कविताएँ एक युवा के हृदय में प्रेम विषय की उथल-पुथल की तस्वीर पेश करती हैं। टाईगर्स संस्थान के अध्यक्ष धर्मवीर सिंह नाथावत ने कहा कि इन कविताओं को पढ़ने के बाद किसी भी पाठक की साहित्य में रूचि पैदा हो सकती है। कार्यक्रम के अंत में असद अली असद ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
– सुरेन बिश्नोई