ख़बरनामा
काव्यमंच की ओर से जोधपुर में त्रिभाषा काव्य गोष्ठी का आयोजन
काव्यमंच जोधपुर द्वारा 7 अगस्त, 2016 को एक त्रिभाषा काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का प्रारंभ युवा कवि चन्द्रभान विश्नोई ने अपनी कविता ‘जान लेगा हर कोई वक्त आने पर एक दिन’ से किया। दीपा राव ने ‘सगळा करे इण संसार अनजान में बेकार री बातां/कोई नी करे ढंग ढाले अर व्यवहार री बातां’ और वाजिद हसन काजी ने ‘हुव जावों हुस्यार जमानौ बदल गयौ/ मत बैठों बेकार जमानों बदल गयौ’ राजस्थानी कविताओं को पेश किया। छगन राव ने ‘गीत गौरव गाथा के आज तुमको मैं सिखलाता हूँ’, गीतांजलि व्यास ने ‘पन्द्रह अगस्त छबीस जनवरी आये भी तो क्या’, मोहनदास वैष्णव ने ’ऐसा मेरे ही देश में क्यों होता है’ आदि देशप्रेम की कविताएँ सुनाकर श्रोताओं को जज्बाती कर दिया।
मधूर परिहार ने गीत ‘मुहब्बत मुक्कमल तो डर है ये कैसा/ हूँ कश्ती में तन्हा सफ़र है ये कैसा’ सुनाकर सबका मन मोह लिया। उगम सिंह राजपुरोहित ने ‘फिर याद आती है गाँव की’ और कल्याण के. विश्नोई ने ‘आँखों में आधी नींद पड़ी है और अधूरी रात पड़ी है/ सो कर भी सोया नहीं तू ऐसी भी क्या बात बड़ी है’, कमलेश तिवारी ने ‘पानी पी कौवा उड़ा जगा गया विश्वास/कंकर कंकर डाल कर बुझा सकोगे प्यास’ और अशफाक फौजदार ने ‘ख्वाबे इश्क कभी देखा ही नहीं/ सुकूने दिल हमने खोया ही नहीं’ कविताओं से गोष्ठी में काव्य के कैनवास पर विविध रंग भरे।
काव्यमंच के संस्थापक शैलेन्द्र ढड्ढा ने ‘मिट कर मिटोगे तो बात और होगी/ लुट कर मिटोगे तो बात और होगी’ सुनाकर आध्यात्मिक प्रेरणा जगायी।
गोष्ठी में वरिष्ठ कवि डॉ.रमांकांत शर्मा, मकबूल शाइर जनाब हबीब कैफ़ी, हाईकू कवि कैलाश कबीर, लोकप्रिय शाइर इश्राकुल इस्लाम माहिर, पीलीबंगा से आये निशांत, युवा कवि ओमप्रकाश गोयल और सारा शारदा ने भी काव्य पाठ किया।
गोष्ठी में वरिष्ठ कथाकार डॉ. हरीदास व्यास, चिन्तक माधव राठौड़, रामकिशोर फिरोदा और कई अन्य साहित्यकार उपस्थित थे। मंच संचालन कल्याण के. विश्नोई ने किया।
इस अवसर पर काव्यमंच द्वारा आयोजित अधिकतम दस शब्द की कहानी प्रतियोगिता के विजेताओं का सम्मान भी किया गया। मंच अध्यक्ष शैलेन्द्र ढड्ढा ने बताया कि देश में अपनी तरह की इस पहली और अनोखी लघुतम कहानी प्रतियोगिता में आकाश नौरंगी ने पहला, कल्याण के. विश्नोई ने दूसरा और पूर्णदत्त जोशी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। प्रतियोगिता के निर्णायक वरिष्ठ कथाकार डॉ. हरीदास व्यास रहे।
– सुरेन बिश्नोई