बाल-वाटिका
कहानी- बंधन
हज़ारों साल पहले की बात है। जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। उनमें दो सबसे लंबे जानवर जिराफ और उँट भी रहते थे। दोनों पक्के दोस्त थे। दिन भर जंगल में घूमते तथा बड़े-बड़े पेड़ों पर लगे हुए फल खाते। एक दिन दोनों शाम को जंगल में घूम रहे थे, अचानक दोनों ने बहुत दूर कोई रोशनी देखी। ऊँट ने कहा- “जिराफ़ भैया, चलो देखते हैं वहाँ पर क्या है। रोशनी क्यों है।” जिराफ बोला- “ऊँट भाई, अपने को रोशनी की जरूरत नहीं है। हम लोग जंगल में ही सुरक्षित हैं।” ऊँट को यह बात अच्छी नहीं लगी। एक दिन वह अकेला उस रोशनी को देखने के लिए रवाना हो गया। चलते-चलते ऊँट ऐसी जगह पहुँचा, जहाँ पर कुछ लोग रहते थे। लोगों ने ऊँट को देखा तो वे डरकर भागने लगे। लोगों ने ऊँट को पेड़ों की पत्तियाँ और घास खाते हुए देखा तो उनको पता चल गया कि ये जानवर शाकाहारी है। उन्होने मिलकर ऊँट को पकड़ लिया तथा उसको डराकर पालतू बना लिया।
तबसे लेकर आज तक ऊँट बेचारा मानव का गुलाम है। चकाचौंध से कभी आकर्षित नहीं होना चाहिए।
कहानी- लॉक डाउन
एक बार जंगल में चार शिकारी आए। दो दिनों में उन्होंने तीन-चार जानवरों को मार दिया। सभी जानवर मिलकर शेर के पास पहुँचे और अपनी परेशानी बताई। शेर ने कहा कि कल से दिन के समय जंगल में लॉकडाउन रहेगा, कोई भी जानवर अपना घर छोड़कर बाहर नहीं आएगा। रात में सभी जानवर भोजन की तलाश में बाहर निकलेगे। शिकारी को रात को दिखाई नहीं देता है यदि किसी जानवर को रात में शिकारी दिख जाए तो वह चिल्लाकर सभी जानवरों को बुलाएगा और शिकारियों को हम मार डालेंगे। मैं इन दिनों में उपवास रखूँगा इसलिए में किसी जानवर को नहीं मारूँगा।
अगले दिन से सभी जानवरों ने लॉकडाउन का पालन करना शुरू कर दिया। शिकारी दिन भर पेड़ पर छुपकर जानवरों का इंतजार करते रहे पर उनको कोई जानवर नहीं दिखा। उनको लगा शायद सभी जानवर जंगल को छोड़ गए हैं। दो दिन बाद रात को हाथी भोजन की तलाश में निकला। उसने दूर पेड़ पर चार लोगों को बैठे हुए देखा। हाथी जोर से चिंघाड़ा, जिसे सुनकर भालू, बघेरा, लोमड़ी आदि जानवर आ गये। हाथी ने उस पेड़ को जोर -जोर से हिलाया, जिससे चारों शिकारी जमीन पर आ गिरे। हाथी ने एक शिकारी को पाँव से कुचल दिया। बाकी तीन शिकारियों को जानवरों ने मार गिराया। अगले दिन सभी जानवरों ने लॉकडाउन के लिए शेर को धन्यवाद दिया।
– सुशान्त शर्मा