उभरते-स्वर
कविता- रंग-बिरंगे फूल
उग आए हैं रंग-बिरंगे फूल
इन फूलों की बात निराली
रखवाली करते इनकी माली
सबको फूल लुभाते हैं
छत्ते से मधुमक्खी आती है
फूलों का रस चूस कर
शहद का स्वाद चखाती है
भंवरे गुन-गुन इन पर मंडराते हैं
एक प्यारा-सा राग सुनाते हैं
तितली रानी आती-जाती
फूलों से मिलकर खूब बतियाती
फूल आते हैं सबके काम
पूजा-पाठ, माला में पिरोते
खुश्बू अपनी हम पर लुटाते
सुंदर-सुंदर प्यारे फूल
हंसते-गाते न्यारे फूल
बच्चों आओ मिलकर हम
कसम ये खाएँ
बेवजह न हम इनको तोड़ेंगे
धरती पर अब
और फूलों को जोड़ेंगे
– अमीषा