ख़बरनामा
एक शाम, मजरूह सुल्तानपुरी के नाम
सुल्तानपुर| देश बाँटों-प्रान्त बाँटों/ हर नगर हर गाँव बाँटों/ बाँट दो उन्मुक्त नभ में लहलहाते राष्ट्रध्वज को/ किन्तु जब तक मैं सुयोधन/पताका है हमारे हाथ में भारतवर्ष की/हो नहीं सकता विभाजन देश का |’ ये पंक्तियाँ जगदीश पीयूष जी सुना रहे थे | उन्होंने महाभारत के प्रसंगों और पात्रों को नए सन्दर्भों में रखकर उन्हें नई अर्थवत्ता दी | मौका था राणा प्रताप पी.जी.कालेज सुल्तानपुर द्वारा शायर मजरूह सुल्तानपुरी की स्मृति में आयोजित कवि सम्मेलन और मुशायरे का | क्षत्रिय भवन में आयोजित यह काव्य संध्या कई दिनों से चल रही पुस्तक प्रदर्शनी का अंग थी | इस काव्य संध्या में जमुना प्रसाद उपाध्याय ने अपने छोटे-छोटे किन्तु पीने और संजीदे शेरों से श्रोताओं की वाहवाही लूटी | उन्होंने पढ़ा ‘हम जरा थक के सुस्ताने लगे /जाने कितने फूल मुरझाने लगे |’ जाहिल सुल्तानपुरी ने ‘ इस कदर क्यूँ है तू खफा बेटा/बाप हूँ हो गयी खता बेटा’ पढ़ने के बाद सदन के अनुरोध पर दुष्यन्त कुमार की ग़ज़ल ‘कहाँ तो तय था चराग हर एक घर के लिए’ पर अपनी पैरोडी सुनाई | डॉ.अरुण कुमार निषाद ने ‘जब कोई अपना नहीं जमाने में/क्या रखा है दिल लगाने में’ ग़ज़ल सुनाई |
सुप्रसिद्ध शायर अजमल सुल्तानपुरी के पौत्र तारिक सुल्तानपुरी ने उनके प्रसिद्ध गीत ‘कहाँ है मेरा हिन्दुस्तान मैं उसको ढूंढ रहा हूँ’ पढ़ा | इसके अतिरिक्त डॉ.मन्नान सुल्तानपुरी, शोभानाथ फैजाबादी, हबीब अजमली ने भी अपनी रचनाएँ पढ़ीं | अध्यक्षता इतिहासकार राजेश्वर सिंह ने तथा संचालन राणा प्रताप पी.जी. कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.इन्द्रमणि कुमार ने की | इस अवसर पर राणा प्रताप पी.जी. कालेज के प्राचार्य डॉ.एम.पी.सिंह, हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक एवं के.एन.आई.पी.एस.एस.कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.राधेश्याम सिंह, साहित्यकार कमल नयन पाण्डेय, डॉ. निशा सिंह तथा डॉ.भारती सिंह, डॉ.धीरेन्द्र सिंह, डॉ.प्रभात श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे |
– डॉ. अरुण कुमार निषाद