ख़बरनामा
उपन्यास ‘जहाँ रहो खुश रहो’ का विमोचन
4 सितंबर, बुधवार।
सामाजिक एवं साहित्यिक जगत की प्रमुख संस्था संपर्क संस्थान के तत्वावधान में शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर 4 सितंबर बुधवार को शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने हेतु राजस्थान के शिक्षकों का सम्मान समारोह पूर्वक किया गया।
इस अवसर पर लेखक नवीन भूटानी के उपन्यास ‘जहाँ रहो खुश रहो’ का विमोचन भी मुख्य अतिथि सीनियर IAS श्री राकेश वर्मा, कार्यक्रमअध्यक्ष सुरेश ज्ञानविहार यूनिवर्सिटी के चेयरमैन श्री सुनील शर्मा,विशिष्ट अतिथि डॉ.ममता शर्मा उपनिदेशक भाषा एवं पुस्तकालय विभागसंस्थान के अध्यक्ष अनिल लढ़ा व प्रदेश समन्वयक रेनू शब्दमुखर के द्वारा समारोह पूर्वक किया गया।
अध्यक्ष अनिल लड्ढा ने संपर्क संस्थान का परिचय देते हुएअपने अगले मिशन 14 नवम्बर को होने वाले सर्वधर्म सामूहिक विवाह सम्मेलन की विस्तृत जानकारी दी तथा नवीन भूटानी को उनके उपन्यास लेखन पर बधाई दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शिक्षाविद सुनील शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षकों को वर्तमान समय और भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए अपने आप को अपडेट करना चाहिए साथ ही मैं यह मानता हूं कि हमें मूल्यों और संस्कारों को भी बच्चों में रोपित करते चलना है।महिला सशक्तिकरण की बात करें तो महिलाओं के प्रति जो नई पीढ़ी है उसका नजरिया बदलने की आवश्यकता है क्योंकि सभी महिलाएं जो शिक्षिका भी है, माताएं भी हैं ,और अपने परिवार को संस्कारित भी कर रही हैं, वहीं से अपने घर से ही संस्कार की शुरुआत करें।
बच्चों में एक दूसरे के प्रति सम्मान की भावना का विकास कर बेहतर इंसान बनाया जा सकता है।
आज के समय में ये जरूरी है क्योंकि बेहतर इंसान बनने के लिए संवेदनशील होना चाहिए तभी हम दूसरों के दुख दूर करने में समर्थ होंगे।
दुनिया में शिक्षा और ज्ञान की वजह से भारत की पहचान हैं। उस पहचान को आज शिक्षक दिवस पर सभी सम्मानित शिक्षकों से हमें कायम करना है।
आज से 2600 साल पहले वर्ल्ड का पहला महिला लिटरेरी वर्क थेरीगाथा हुआ था जिसमें 73 महिला रचनाकारों ने अपनी रचनाएं दी थी आज रेनू ने उसी परंपरा को पुनर्जीवित कर दिया है ।
मुख्य अतिथि श्री राकेश वर्मा ने कहा शिक्षक के रूप में मेरा जो अनुभव है उन्हें मैं आपसे साझा करना चाहता हूं आज के सुंदर दिवस पर एक शिक्षक अपने विद्यार्थियों को अपने शिष्य को नए विचार और नई सोच के लिए तैयार करता है और मैं जब भी कभी इस प्रकार के कार्यक्रमों में जाता हूं मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में या अपने एजुकेशन करियर में मैंने बहुत से कार्यक्रमों में भाग लिया है लेकिन शिक्षक के रूप में मेरा अनुभव सुखद रहा है।
लेखक भूटानी ने अपने वक्तव्य में कहा कि पहला उपन्यास
ये दो शब्द ही अपने आप में ही बहुत रोमांचित करते हैं । एक अध्याय को पूरा लिखकर और नया अध्याय शुरू करना और फिर यही क्रम अध्यायो में कथा प्रवाह बनाए रखने हेतु विचारों को काल्पनिकता की उड़ान पर ले जाना होता है ।
अपने अनुभवों से मैं यह कह सकता हूँ कि लेखन कार्य ज़रा भी आसान नहीं है ।
घर पर सदस्यों का साहित्यिक पृष्ठभूमि न होने के बावजूद भी 1 पूर्ण पुस्तक का लिखा जाना 1 चमत्कार ही है और यह चमत्कार मेरी परिजनों, मित्रों और बंधुओं के मार्गदर्शन और प्रेरणा से ही संभव हुआ है ।
विशिष्ट अतिथि डॉ. ममता शर्मा ने अपने उद्बोधन में संपर्क संस्थान के सामाजिक और साहित्यिक दिशा की ओर बढ़ते कदमों की खुले दिल से प्रशंसा करते हुए कहा कि नवीन भूटानी का उपन्यास “जहां रहो खुश रहो” एक ऐसी पुस्तक है जिसे आज के पाठकों के साहित्य सरोकारों के अनुरूप लिखा गया है। पुस्तक को पढ़ते हुए हम उन सभी अनुभवों और विचारों को अपने विचार पटल पर उपस्थित पाते हैं जिनसे कोई भी परिवार और समाज से जुड़ कर चलने वाला व्यक्ति जीवन में प्रभावित होता है। अपने इस रूप में ये उपन्यास एकत्व को सामूहिकता से जोड़ने वाला सिद्ध होता है।
रेनू शब्दमुखर ने संपर्क संस्थान की साहित्यिक उपलब्धियों से अवगत कराते हुए कहा कि आज दूसरे क्षेत्र के लोग जिस प्रकार से साहित्य की ओर उन्मुख हो लेखन प्रक्रिया में सक्रियता दिखा रहे है,हिंदी में रस ले रहे है, ये भविष्य में साहित्य जगत के लिए अच्छा संकेत है।
मंच संचालन डॉ. आरती भदौरिया ने किया।
– रेनू शर्मा शब्दमुखर