फ़िल्म जगत
‘अबोध’ से ‘कलंक’ तक ‘चंद्रमुखी’ उर्फ़ माधुरी दीक्षित
15 मई 1967 को मुंबई में जन्मी सबके दिलों की धड़कन धक धक गर्ल और देवदास की चंद्रमुखी यानी माधुरी दीक्षित एक सफ़ल भारतीय सिनेमा अभिनेत्रियों में से एक हैं। हिंदी सिनेमा के 80, 90 के दशक तक एक मुख्य अभिनेत्री के रूप में अपनी भागीदारी निभा रही माधुरी अपनी क़ाबिलेगौर अदाकारी और डांस कला के कारण हमेशा आलोचकों के द्वारा भी सराही गईं। माधुरी ने 6 बार फ़िल्मफ़ेयर अवार्ड , 4 बेस्ट एक्ट्रेस के अवार्ड, एक बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का अवार्ड और एक स्पेशल अवार्ड अपने नाम किया। माधुरी 14 बार फ़िल्मफ़ेयर के बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नामांकित की गई तथा साल 2014 में भारतीय सरकार ने उन्हें “पद्मश्री” से सम्मानित किया गया, जो कि देश का चौथा सबसे बड़ा पुरस्कार है। “अबोध” फ़िल्म से अपने फिल्मी अभिनय की शुरुआत करने वाली माधुरी को पहचान 1988 में आई फिल्म “तेजाब” से मिली। हिंदी सिनेमा में हमेशा मुख्य अभिनेत्री के रूप में अभिनय करने वाली माधुरी ने राम लखन, परिंदा, दिल, साजन, बेटा, खलनायक, हम आप के है कौन , राजा, और दिल तो पागल है जैसी यादगार फिल्में की। इसके अलावा उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा अंजाम, मृत्युदंड, पुकार, लज्जा और देवदास जैसी फिल्मों से मनवाया इसके साथ ही फिल्मों के अलावा जज के रूप में “झलक दिखला जा” के चार सीजन में भी काम करने वाली माधुरी ने कई स्टेज शो में भी काम किया। हाल में वे यूनिसेफ (UNICEF) भारत की एम्बेसडर भी हैं। पिता शंकर और माता स्नेहलता की होनहार तथा खूबसूरत संतान माधुरी ने डिवाइन चाइल्ड हाई स्कूल से पढने के बाद मुंबई यूनिवर्सिटी से स्नातक की शिक्षा पूरी की। बचपन से ही नृत्य में रुचि होने के कारण उन्होंने कथक भी सीखा और बेहतरीन कथक डांसर भी बनी। इसी नाते उन्होंने एक ऑनलाइन डांस अकादमी, डांस विद माधुरी संस्था भी खोल रखी है। जहाँ माधुरी के फैंस उनके प्रसिद्ध डांस सीखते हैं। आवारा बाप, स्वाति, मानव हत्या, हिफाज़त, उत्तर दक्षिण, मोहरे, खतरों के खिलाड़ी, दयावान, वर्दी, प्रेम प्रतिज्ञा, किशन कन्हैया, जीवन एक संघर्ष, सैलाब, जमाई राजा, थानेदार, खलनायक, आंसू बने अंगारे, अंजाम, बड़े मियां छोटे मियां, गज गामिनी, हम तुम्हारे हैं सनम, आजा नचले, बॉम्बे टॉकीज, यह जवानी है दीवानी, डेढ़ इश्किया, गुलाब गैंग और हाल ही में रिलीज कलंक तक के पूरे फ़िल्मी सफ़र में माधुरी की सुंदरता के साथ-साथ उनके अभिनय कौशल और डांस कला की सदा चर्चा होती रहेगी।
माधुरी दीक्षित ने हिन्दी फ़िल्मों में एक ऐसा मुकाम तय किया है जिसे आज की अभिनेत्रियां अपने लिए आदर्श मानती हैं। इन्होंने हिन्दी सिनेमा में एक प्रमुख अभिनेत्री तथा सुप्रसिद्ध नृत्यांगना के रूप में स्वयं को स्थापित किया था। उनके लाजवाब नृत्य और स्वाभाविक अभिनय का ऐसा जादू था माधुरी पूरे देश की धड़कन बन गयी। माधुरी को बचपन से डॉक्टर बनने की चाह थी और शायद यह भी एक वज़ह रही कि माधुरी ने अपना जीवन साथी भी पेशे से डॉक्टर श्रीराम नेने को चुना। एक के बाद एक सुपरहिट फ़िल्में देते हुए उन्होंने भारतीय सिनेमा की सर्वोच्च अभिनेत्री तक का सफ़र तय किया।
माधुरी को सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री पुरस्कार – ‘देवदास’, फ़िल्म फ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार – ‘दिल तो पागल है’, ‘हम आपके हैं कौन’ और ‘बेटा’ के लिए मिला। हिंदी सिनेमा की एक अलग पहचान दीक्षित को आज भी दर्शक बड़े पर्दे पर देखने के लिए आतुर रहते हैं। माधुरी को जिस “तेज़ाब” फ़िल्म से हिंदी सिनेमा में पहचान मिली उस फ़िल्म के लिए बेहतरीन अदाकारी का फिल्मफेयर पुरुस्कार का पहला नामाकंन भी मिला और इस फिल्म का गाना “एक दो तीन” आज भी आइकॉनिक गीत माना जाता है। इस सफल फिल्म के बाद फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और हिंदी सिनेमा में बैक-टू बैक हिट फ़िल्में दी। फिल्म अभिनेता अनिल कपूर के साथ उन्होंने तकरीबन बीस फिल्मों में काम किया जिनमें से अधिकतर फ़िल्में सुपरहिट साबित हुई। 90 के दशक में उन्होंने आमिर खान स्टारर फिल्म “दिल” की। हर फिल्म की तरह उनकी यह फिल्म भी सुपर हिट साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने एक अमीर लड़की की भूमिका निभायी थी, जिसे एक गरीब लड़के से प्यार हो जाता है। उनको सबसे बड़ी सफलता तब मिली जब उन्होंने राजश्री बैनर तले की फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ की। इस फिल्म में उन्होंने निशा की भूमिका अदा की तथा यह हिंदी सिनेमा की पहली फिल्म थी जिसने वर्ल्डवाइड सबसे ज्यादा कमाई की। इस फिल्म ने गिनीज बुक में भी अपना नाम दर्ज करवाया। इस फिल्म में उनके किरदार के लिए आलोचकों से बहुत अच्छी और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली। फिल्म में माधुरी के अलावा सलमान खान, मोहनीश बहल, रेणुका शाहने, अनुपम खेर, आलोक नाथ भी नजर आये थे। इस फिल्म की कमाई का रिकॉर्ड सात सालों तक कोई भी फिल्म नहीं तोड़ पायी, बाद में साल 2002 में सनी देओल स्टारर फिल्म गदर-एक प्रेमकथा ने इस फिल्म के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। इस फिल्म के बाद तो माधुरी दीक्षित हिंदी सिनेमा की सबसे सफल अभिनेत्रियों में शुमार हो चुकी थी। उसके बाद उन्होंने कई और फिल्मों में अपने बेहतरीन प्रदर्शन कर बॉक्स-ऑफिस पर सफलताओं के कई पैमाने बनाये।
शादी के बाद माधुरी ने फिल्मों से लम्बी दूरी बनाकर विदेश में जाकर बस गयी। साल 2006 में वापस आकर उन्होंने फिल्म आजा नचले से हिंदी सिनेमा में अपनी वापसी की। हालांकि इस फिल्म ने बॉक्स-ऑफिस पर कुछ अच्छा बिजनेस तो नहीं किया, लेकिन माधुरी के अभिनय को आलोचकों ने खूब सराहा। इसके बाद डेढ़ इश्किया और गुलाब गैंग जैसी फिल्मों में काम किया। माधुरी के लिए कहा जाता है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक अभिनेत्री बनेगी। वे बचपन से ही बेहद पढ़ाकू थीं, और वह एक डॉक्टर बनने की ख्वाइश रखती थीं। भारतीयों के दिल की धड़कन ही नहीं पड़ोसी देश पाकिस्तानियों की भी पसंदीदा हैं। जब बॉर्डर पर जंग छिड़ी थी तो एक पाकिस्तानी ने कहा था, कि हम कश्मीर छोड़ देंगे अगर तुम हमें माधुरी दीक्षित दे दो। माधुरी के शुरूआती दिनों में, उनपर आलोचकों ने तंज कसते हुए कहा कि वह फिल्म जगत में केवल अपने डांस की वजह से है। इसके बाद उन्होंने उन्होंने लगातार हिट फ़िल्कमें देकर खुद के अभिनय को भी साबित कर दिया।
माधुरी को डाइरेक्टर्स एक्ट्रेस भी कहा जाता हैं। ऐसा फिल्म निर्देशक सूरज बड़जात्या ने एक एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि एक निर्देशक का कैरियर तब तक पूरा नहीं होता जब तक वो माधुरी दीक्षित के साथ काम ना करे। माधुरी दीक्षित हिंदी सिनेमा की ऐसी अभिनेत्री हैं जिन्हे 13 बार फिल्मफेयर पुरूस्कार का नामांकन मिला, जिनमें से चार उन्होंने अपने नाम किए। वे हिंदी सिनेमा की इकलौती ऐसी अभिनेत्री हैं, जिन्हें पंडित बिरजू महाराज द्वारा फिल्म देवदास के गाने के लिए कोरियोग्राफ किया गया। फिल्म “साजन” के वक्त माधुरी दीक्षित फिल्म अभिनेता संजय दत्त के बेहद करीब आ गयी थी। लेकिन उनका यह रिश्ता कुछ ही समय चल सका और बाद में वे दोनों अलग हो गए। माधुरी के अभिनय और हुस्न के कायल पूरी दुनिया में है। उन्ही में से एक फैन जमशेदपुर का है, जिसने एक कैलेंडर लांच किया, जिसमे वर्ष की शुरुआत माधुरी के जन्मदिन से होती हैं। इतना ही नहीं उसने भारत सरकार से दरख्वास्त भी की थी कि माधुरी के जन्मदिन दिन पब्लिक हॉलिडे घोषित किया जाये। साल 2018 में रिलीज हुई संजय दत्त की बायॉपिक फ़िल्म की शूटिंग के दौरान चर्चा हुई कि इस फिल्म में केवल उनकी प्रोफेशनल लाइफ, अदालती कार्रवाई पर ही नहीं बल्कि बल्कि उनकी निजी जिंदगी और लव लाइफ पर भी फोकस किया जाएगा। ऐसे में माधुरी दीक्षित ने फिल्म के डायरेक्टर राजकुमार हिरानी से मुलाकात कर अपने तथा स्वयं से जुड़े किसी भी किरदार को फिल्म से हटाने की गुहार लगाई थी। गौरतलब है कि संजय दत्त के जेल जाने से पहले ऐसी चर्चा माया नगरी में सुनने को मिलती थीं कि संजय और माधुरी के बीच अफेयर था। लेकिन साथ ही एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, ‘धक-धक’ गर्ल माधुरी ने कुछ दिनों पहले इस मुद्दे पर अपना मत रखते हुए के लिए कहा कि तब से अब तक उनकी लाइफ में बहुत परिवर्तन आ चुका है और वह अपनी जिंदगी में काफी आगे आ चुकी हैं इसलिए अब यह मुद्दा उनके लिए कोई मायने नहीं रखता। यह भी कहा जाता है कि उनका संजय दत्त के साथ यह रिश्ता उनकी 1993 में हुई गिरफ्तारी के बाद खत्म हो गया और वे उनसे मिलने जेल भी नहीं गई।
एक खूबसूरत सा चेहरा, जिसने हजारों, लाखों लोगों को अपनी अदाकारी और नृत्य के आधार पर अपना दीवाना बना लिया। अपनी अदाकारी से किसी छोटे से रोल में भी ऐसी जान डाली कि जिसे लोग भुला नहीं पाते और नृत्य ऐसा कि किसी भी व्यक्ति के पैर थिरकने को मजबूर हो जाये और जो नृत्य देखे, तो देखता ही रह जायें। इसी शख्सियत का नाम हैं “माधुरी दीक्षित”
कैरियर की शुरुआत के 4 सालों तक लगातार फ्लॉप फ़िल्में देने के बाद माधुरी दीक्षित ने फिल्म ‘तेज़ाब’ से सफलता का स्वाद चखना शुरू किया। ये उनकी पहली सुपरहिट फिल्म थी। जिसमें उन्होंने अनिल कपूर के अपोजिट काम किया था। इस फिल्म के किरदार ‘मोहिनी’ को लोग आज भी याद करते हैं और इस फिल्म के आइटम नंबर ‘एक दो तीन’ को आज भी सराहा जाता हैं। यह गाना इतना हिट हुआ था कि इस गाने की सफलता ने माधुरी को नया नाम दिया ‘एक दो तीन गर्ल’। इस फिल्म में माधुरी के अभिनय को तो सराहा गया ही, साथ ही साथ उनकी नृत्य प्रतिभा को भी लोगों ने बहुत पसंद किया। इस फिल्म के लिए उन्हें फिल्म फेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड के लिए नोमिनेट किया गया था। सन 1989 में उनकी एक और फिल्म आयी, जिसमें उन्होंने एक बार फिर अभिनेता अनिल कपूर के साथ काम किया था और ये फिल्म थी सुभाष घई की ‘राम लखन’। यह फिल्म भी सुपरहिट रही और साल की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गयी। इसके बाद मिथुन चक्रबर्ती के साथ आयी फिल्म ‘प्रेम प्रतिज्ञा’ फ्लॉप हो गयी। इसके बाद उन्होंने मल्टी स्टारर फिल्म ‘त्रिदेव’ में काम किया और नसीरुद्दीन शाह, सनी देओल, जेकी श्रोफ़, संगीता बिजलानी, सोनम और अमरीश पूरी, जैसे दिग्गज सितारों के बीच भी अपनी छाप छोड़ी। इसमें उनकी जोड़ी सनी देओल के साथ बनाई गयी थी। इस फिल्म की सफलता के बाद ये साल की तीसरी बड़ी हिट फिल्मों में शामिल हो गयी। इसके बाद आयी ‘परिंदा’ में भी उनके अभिनय को सराहा गया।
सन 1993 में माधुरी दीक्षित एक बार फिल्म ‘खलनायक’ में दिखाई दी। इसमें उनके साथ जैकी श्रोफ़ भी थे। इस फिल्म में माधुरी की अभिनय प्रतिभा ने सबका ध्यान आकर्षित किया, जिसमें उन्होंने ग्रे शेड वाले संजय दत्त को अभिनय में टक्कर दी। साथ ही सरोज खान की कोरियोग्राफी में फिल्माया गया गाना ‘चोली के पीछे क्या हैं’ बहुत हिट हुआ था। इस फिल्म के बाद आयी ‘अंजाम’ में हमें माधुरी का अलग ही रूप देखने को मिला। इसमें वे वे अपने पति की मौत का बदला लेते हुए दिखाई दी। उनके नृत्य का जलवा इस फिल्म में भी बरक़रार था और ’18 बरस की कुंवारी कली’ बहुत हिट हुआ था। इस फिल्म में अपने अभिनय के लिए उनका नाम फिल्म फेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड के लिए नोमिनेट किया गया था।
सन 1995 में अभिनेता संजय कपूर के साथ आयी ‘राजा’ भी हिट हुई थी, जिसके प्रसिद्ध गाने ‘अखियाँ मिलाऊं, कभी अंखिया चुराऊं’ से एक किस्सा जुड़ा हैं। ये गाना प्रसिद्ध कोरियाग्राफर सरोज खान ने कोरियोग्राफ किया था। एक इंटरव्यू में जब किसी ने उनसे पूछा कि गाने की शुरुआत में माधुरी जिस तरह से आंखे चारों ओर घुमा रही हैं, वह कितने शॉट में ओके किया गया। तब सरोज खान थोड़ी नाराज़ हो गयी थी और बोली कि उस सीन की प्रैक्टिस करते करते उस लड़की (माधुरी) को चक्कर आ गये और आप कह रहे हैं कि कितने शॉट लगे। इस वाकये से पता चलता हैं कि माधुरी में अपने काम के प्रति कितनी लगन हैं। 1996 का साल उनके कैरियर के लिए अच्छा नहीं रहा और प्रेम ग्रंथ और मृत्युदंड जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल नहीं दिखाया। परन्तु मृत्युदंड में शबाना आज़मी और ओम पुरी जैसे कलाकारों के बीच भी उनका अभिनय मंत्रमुग्ध कर देने वाला था। लेकिन 1997 में आयी म्यूजिकल फिल्म ‘दिल तो पागल हैं’ में वे शाहरुख़ खान, करिश्मा कपूर और अक्षय कुमार के साथ दिखाई दी और यह फिल्म सुपरहिट रही। इसके अलावा अनिल कपूर के साथ फौजी पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘पुकार’ में उन्होंने नकारात्मक किरदार निभाया जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया और इस फिल्म में प्रभुदेवा और उन पर फिल्माया गया गाना ‘के सेरा सेरा’ बहुत हिट हुआ था। मशहूर पेंटर एम्.एफ.हुसैन भी माधुरी के बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्होंने माधुरी को लेकर फिल्म भी बनाई, जिसका नाम हैं ‘गज गामिनी’। सन 2001 में फिल्म ‘लज्जा’ के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नोमिनेट किया गया था। यह फिल्म औरतें पर होने वाले अत्याचारों पर बनी थी। 2002 में आयी संजय लीला भंसाली की ‘देवदास’आयी, जो कि शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के उपन्यास पर आधारित थी। इसमें उन्होंने ‘चंद्रमुखी’ का रोल जिस प्रकार निभाया था, वो काबिल –ए –तारीफ था। इस फिल्म ने तो अवार्ड्स की भी लाइन लगा दी थी। ‘टाइम’ ने इसे ‘10 बेस्ट फिल्म ऑफ़ द मिलेनियम’ की लिस्ट में शामिल किया था।
देवदास के बाद वे अपने परिवार के साथ डेनवर शिफ्ट हो गईं। ऐसे अनुमान लगाये जा रहे थे कि देवदास उनकी आखिरी फिल्म होगी। परन्तु सन 2006 में वे भारत आयी और अनिल मेहता की डांस फिल्म ‘आजा नच ले’ में काम किया। ये सन 2007 में रिलीज़ हुई थी, हालाँकि ये फिल्म फ्लॉप हो गयी, पर माधुरी का जादु अब भी क़ायम था। क्रिटिक्स ने भी उनकी अदाकारी को सराहा। सन 2001 में फिल्म इंडस्ट्री में 25 साल पूरे करने पर उन्हें ‘फिल्म फेयर स्पेशल अवार्ड’ दिया गया था। 2014 में उनकी डेढ़ इश्किया आयी, परन्तु फ्लॉप हो गयी। इसके बाद आयी ‘गुलाब गैंग’, जो सत्य घटना पर आधारित फिल्म थी। यह फिल्म संपत पल देवी और उनके गुलाबी गैंग से प्रेरित थी। माधुरी दीक्षित के डांस को फिल्मों के अलावा स्टेज परफॉरमेंस के रूप में भी देखा गया और बहुत सराहा भी गया।
माधुरी इन सबके अलावा बड़ा दिल भी रखती हैं और समय समय पर समाज सेवा भी करती रहती हैं जिसका एक उदाहरण सन 2001 में गुजरात में आये भूकंप से पीड़ित लोगों की मदद के लिए माधुरी द्वारा 50 लाख रूपये दान किये गए जो उन्होंने ‘कौन बनेगा करोड़पति गेम शो’ में जीते थे। इसके अलावा उन्होंने सन 2009 में NDTV टोयोटा ग्रीनेथोन – भारत के राष्ट्र व्यापी केम्पेन में उन्होंने कई चैरिटी शो किये, जिससे आये धन का उपयोग कई गाँवों में सोलर प्लांट लगाने में किया गया। माधुरी गुडविल एम्बेसडर हैं और एशियन हाथियों और अन्य प्रजातियों के संरक्षण हेतु चलाये जाने वाले चैरिटी प्रोजेक्ट ‘एमेराल्ड्स फॉर एलिफेंट्स’ के लिए भी कार्य करती हैं। माधुरी दीक्षित को फिल्म इंडस्ट्री में 25 साल से ज्यादा हो चुके हैं। इस दौरान उन्होंने कई फ़िल्में की, जिनमें से कुछ हिट रही, कुछ सुपरहिट और कुछ औसत भी थी, उन्होंने असफल फिल्मों का दौर भी देखा। परन्तु इन सभी में एक खास बात यह थी कि उन्होंने सभी भूमिकाएं कुछ इस तरह निभाईं कि वे यादगार बन गईं।
– तेजस पूनिया