ख़बरनामा
अनीस टांडवी साहब की याद में काव्य-गोष्ठी का आयोजन
17 जनवरी को घंटाघर चौक, लखनऊ में मशहूर लघुकथाकार, शायर अनीस टांडवी की याद में कविता कोश के सौजन्य से एक साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ हास्य कवि भोलानाथ ‘अधीर’ ने की। बतौर अतिथि डॉ. अजय प्रसून एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप में राहुल शिवाय भी उपस्थित रहे। गोष्ठी की शुरुआत करते हुए राहुल शिवाय ने माँ शारदे की वंदना करते हुए कहा-
ज्ञान दीप माँ! मन में भरकर
ज्योतिर्मय सारा जग कर दो
वरिष्ठ गीतकार डॉ. अजय प्रसून ने अपनी ये पंक्तियों सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया-
ये ग़ज़ल यूँ ही कह नहीं दी है
बस्ती-बस्ती की खाक छानी है
इसी श्रृंखला की आगे बढ़ाते हुए भोलानाथ ‘अधीर’ ने इन पंक्तियों से महफ़िल में फिर से जान फूंक दी-
मेरा दामन भिगोता है कभी-कभी कोई
लिपट कर मुझसे रोता है कभी-कभी कोई
जाने क्यूँ हद से गुज़र जाते हैं
मार देते हैं या मर जाते हैं
इन पंक्तियों से मंजुल मंज़र लखनवी ने वर्तमान परिवेश पर अपना चिंतन व्यक्त किया।
इसके बाद संतोष सिंह ने गीत-ग़ज़ल को अपने तरीके से परिभाषित करते हुए कहा-
मायूसी से मन बहलाना
ही है गीत-ग़ज़ल हो जाना
फिर के. के. सिंह ‘मयंक’ ने मुफ़लिसी को अपने शेर पिरोते हुए कहा-
मज़दूर है हम हमको जब नींद सतायेगी
अख़बार बिछा लेंगे फुटपाथ पे सो लेंगे
संचालक की भूमिका निभा रहे मशहूर शायर शाहबाज़ तालिब ने अपने अंदाज़ को दुहराते हुए इन पंक्तियों के साथ ढेरों तालियाँ बटोरीं-
दोनों में कोई एक भी पागल नहीं हुआ
यानी हमारा इश्क़ मुकम्मल नहीं हुआ
युवा शायर और कार्यक्रम के संयोजक अमन चाँदपुरी ने अपने उस्ताद अनीस साहब को समर्पित करते हुए कुछ ग़ज़लें और दोहे पढ़े। हर्षित ‘अजीज’, प्रभात मिश्र, निर्भय, विपिन मलीहाबादी, वत्सल कुमार, बलराम यादव, फैज अहमद, ऋषभ शुक्ल, अनुज अब्र, मो. गुफ़रान सिद्दीकी, अमीर फैसल, सुशांत मिश्र के साथ सनी गुप्ता ‘मदन’ ने भी अपनी कविताएँ पढ़ीं।
– अमन चाँदपुरी