छात्र, किसान और तनाव
जैसा कि होता आया है, किसानों की कर्जमाफ़ी पर भी राजनीतिक रोटियाँ सिकने लगी हैं। सत्ता हो या विपक्ष, ये अच्छे-बुरे हर अवसर का लाभ लेने से कभी नहीं चूकते। व्रत, उपवास, धरना....सब इन्हें तो लाइमलाइट में ले आते हैं पर समस्या फिर भी अंधकार के गर्त में डूबी, प्रकाश की प्रतीक्षा में वर्षों कराहती है। नेताओं के इस कृत्य में वैसे भी संवेदनशीलता के प्रमाण से कहीं ज्यादा वोट लोलुपता दिखाई देती है। देश की आबादी का एक हिस्सा भी भूखा ही सोता है, उससे इनकी समस्याओं का हल निकलते देखा है कभी! नेताओं के इस ढोंग रचने और व्यवस्था के नाम पर जो करोड़ों रुपये ....